आज के युवा देश का भविष्य, लेकिन हमारी युवा पीढी की मानसिकता पर आजकल की फिल्मे और गैरजरूरी विज्ञापन
कितना बुरा असर डाल रहे हैं ये सोचने का विषय है
कभी हमारे देश मे साफ सुथरी शिक्षाप्रद व मनोरजंक फिल्मो का निर्माण
होता था पर आजकल की फिल्मे परिवार के साथ देख पाना सभ्यता से परे होता जा रहा है
कुछ विज्ञापन उन उत्पादों के होते हैं जो छोटे बच्चों के ऐसे सवाल बनकर
सामने आ जाते हैं जिनका जवाब बडों के पास सिर झुका लेने अलावा कुछ नही होता व बालमन सिर्फ
असमजंस मे रह जाता है और युवाऔ के लिये हर तरह की पाबन्दी और डर से मुक्ति का साधन बन जाते हैं
कुछ विज्ञापन लोक सेवा आयोग दव्ारा जन हित मे प्रसारित होते हैं लेकिन क्या ये सच मे जनहित मे हैं या युवा पीढी के विनाश मे
आजकल जिस तरह हमारी युवा पीढी पश्चिमि सभ्यता मे रगंती जा
रही है उनके लिये तो इन विज्ञापनो मे दिखाये गये उत्पाद
हर तरह के डर से आजादी का साधन बन गये हैं इन उत्पादो के विज्ञापन प्रसारण के समय अगर परिवार एक साथ
बैठा हो तो शर्मिदंगी से सर झुक जाता है
एक विज्ञापन मे दिखाया जाता है कि अपने साथी के प्रति वफादार रहिये
समबन्ध 1 के साथ या फिर फंला उत्पाद के साथ मतलब
समबन्धो की नैतिकता समाप्त ,क्या हमारा सूचना प्रसारण मंत्रालय इस तरफ ध्यान ही नही देता
अगर मेरा ये सब लिखना कुछ अजीब व अनुचित लगे
तो मै क्षमाप्राथी हुँ ये मेरे अपने विचार हैं |
कितना बुरा असर डाल रहे हैं ये सोचने का विषय है
कभी हमारे देश मे साफ सुथरी शिक्षाप्रद व मनोरजंक फिल्मो का निर्माण
होता था पर आजकल की फिल्मे परिवार के साथ देख पाना सभ्यता से परे होता जा रहा है
कुछ विज्ञापन उन उत्पादों के होते हैं जो छोटे बच्चों के ऐसे सवाल बनकर
सामने आ जाते हैं जिनका जवाब बडों के पास सिर झुका लेने अलावा कुछ नही होता व बालमन सिर्फ
असमजंस मे रह जाता है और युवाऔ के लिये हर तरह की पाबन्दी और डर से मुक्ति का साधन बन जाते हैं
कुछ विज्ञापन लोक सेवा आयोग दव्ारा जन हित मे प्रसारित होते हैं लेकिन क्या ये सच मे जनहित मे हैं या युवा पीढी के विनाश मे
आजकल जिस तरह हमारी युवा पीढी पश्चिमि सभ्यता मे रगंती जा
रही है उनके लिये तो इन विज्ञापनो मे दिखाये गये उत्पाद
हर तरह के डर से आजादी का साधन बन गये हैं इन उत्पादो के विज्ञापन प्रसारण के समय अगर परिवार एक साथ
बैठा हो तो शर्मिदंगी से सर झुक जाता है
एक विज्ञापन मे दिखाया जाता है कि अपने साथी के प्रति वफादार रहिये
समबन्ध 1 के साथ या फिर फंला उत्पाद के साथ मतलब
समबन्धो की नैतिकता समाप्त ,क्या हमारा सूचना प्रसारण मंत्रालय इस तरफ ध्यान ही नही देता
अगर मेरा ये सब लिखना कुछ अजीब व अनुचित लगे
तो मै क्षमाप्राथी हुँ ये मेरे अपने विचार हैं |