Sunday, 11 September 2011

देश में बढती जनसंख्या और गिरता हुआ लिगं अनुपात


पहले से ही 2 बेटियों की माँ तीसरी बार जब माँ बनने वाली थी तो उसके पति और सास ने दबाव बनाया कि  वह भ्रूण का लिंग परीक्षण करवा ले क्योकि उन्हे तो वंश चलाने वाला चाहिये था ।
पर माँ की ममता इस बात के तैयार न होते हुए भी
अपनी आवाज दबाने पर मजबूर थी
क्योंकि सास के कटाक्ष और पति के शराब पीकर करी जानेवाली
पशुता के डर से बेचारी एकाँत मे बैठी अपनी ममता का
गला घोंटने की कोशिश करने लगी ।
तभी अपने अन्दर से मानो कोई आवाज  चित्कार
कर उठी माँ मैं भी तुम्हारा अंश हूँ मै भी इस संसार  में आना चाहती हूँ
तुम्हारी गोद में खेलना चाहती हूँ तुम्हारी ममता का अहसास करना चाहती हूँ

     हमारे देश में बढती जनसंख्या और गिरता हुआ लिगं
     अनुपात चिंता का विषय है।क्या हमारा समाज इस सच को कभी नही समझ सकेगा कि
अगर लडकियाँ नही होंगी तो वंश चलाने वाले लडकों का
असतित्व कहाँ से रहेगा क्योकि कुदरत ने दुनिया को चलाने के जो
नियम बनाये हैं उसमे पुरूष और स्त्री समान रूप से भागीदार हैं
    हम लोग देवी रूप में कन्या पूजन करते हैं फिर भी कन्या जन्म पर या तो
अफसोस करते है या अजन्मी कन्या का वध करने को तैयार हो जाते हैं
 पुत्रचाह रखने वाले यह भूल जाते हैं कि आज बेटियां भी माता-पिता
का नाम रोशन करने मे बेटों से कहीं आगे हैं
  लोगों के सामने तो हम बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि बालिका भी देश का भविष्य है पर क्या कभी सबने एकजुट प्रयास किया कि
हम कन्या भूण हत्या  
जैसे अमानवीय कृत्य को जड से उखाडने का सकंल्प लें।

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जब तक बने रहेंगे दहेज के दानव समाज के ठेकेदार
तब तक निश्चेतन बनी रहेगी अजन्मी कन्याऔ की पुकार
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