Sunday, 11 September 2011

भूख

मैले कुचैले फटेहाल कपडों में अपनेअधनगें बदन को ढांपने की असफल कोशिश करती हुई असहाय गरीब महिला अपने दो छोटे छोटे बच्चों के साथ कचरेदान से कुछ बीनती हुई .. भूखसे बिलख रहे बच्चों को सांत्वना देती शायद इस कचरे के डब्बे से कुछ खाने को मिल जाये ताकि बच्चों की भूख शाँत कर सके ,
तभी रास्ते गुजरती भीड,जो कुछ नारे लगा रही थी, …जनलोकपाल लाऔ
भ्रष्टाचार भगाऔ …को देखकर कचरा बीनते हाथ ठहर से जाते हैं
बच्चे बडी मासूमियत से पूछते हैं मां क्या जनलोकपाल आने से
हमे खाना मिलेगा मां गहरी साँस लेकर जवाब देती …शायद मिल जाये
अगर ये बडे लोग उसकी भी कालाबाजारी नही कर देंगें तो
जवाब देकर वो फिर से कचरा बीनने मे मशगूल हो जाती है
क्योंकि उसे तो बस अपने मासूम बच्चों की पेट की आग
बुझानी है.

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